सेवा में,
माननीय सरवानन्द सोनेवाल जी
मंत्री बन्दरगाह, जहाज़रानी
भारत सरकार, नई दिल्ली...
विषय- गुजरात कच्छ के कांडला पोर्ट पर बसने वाले मछुआरों के घरों को तोड़े जाने व उनके पुनर्वसन (Rehabilitation) के संबंध में,
महोदय,
आपके संज्ञान में लाना है कि गुजरात कच्छ ज़िले के कांडला बन्दरगाह पर समुद्र के किनारे पोर्ट के बनने से पहले से मछुआरे निवास करते हैं| कांडला पोर्ट 1965 में बना, इसके आसपास 900 से 1000 मछुआरों के परिवार रहते हैं| पूर्व में हुई वार्ता में कांडला पोर्ट कमिश्नर महोदय से पुनर्स्थापन की बात हुई थी|
आज सुबह कांडला पोर्ट के अधिकारियों ने बरसात के मौसम में मछुआरों के घरों को तोड़न शुरू किया है| अभी तक 300 से अधिक घरों को तोड़ा जा चुका है, लगातार डेमोलीशन चल रहा है| किसी को जाने भी नहीं दिया जा रहा है| महिलाएं, बच्चे और वृद्ध लोग अचानक सड़क पर आ गए हैं|
महोदय पोर्ट बनने से पहले रहने वाले मछुआरों के घरों को किसी दूसरी जगह पर बसाये जाने (Settlement) के बिना बरसात में तोड़ना पूरी तरह से अमानवीय, असंवैधानिक है|
आपसे अनुरोध है कि कांडला पोर्ट के आसपास रहने वाले मछुआरों को किसी दूसरी जगह रहने का स्थान आवंटित किया जाए, ताकि इनका जीवन सही रूप से चल सके|
मुझे आशा है कि आप मानवीय अभिगम के तहत जल्द उचित निर्णय लेंगे|
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*कंविनर, माइनोरिटी कोऑर्डिनेशन कमिटी , ता- 5-9-24
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