झारखंड उच्च न्यायलय में केंद्र ने माना, संथाल परगना में ज़मीन विवाद में बांग्लादेशी घुसपैठियों का जुड़ाव नहीं
संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ मामले में झारखंड उच्च न्यायलय में केंद्र सरकार ने 12 सितम्बर 2024 को दर्ज हलफ़नामा में माना है कि हाल के ज़मीन विवाद के मामलों में बांग्लादेशी घुसपैठियों का जुड़ाव स्थापित नहीं हुआ है. उच्च न्यायलय में भाजपा कार्यकर्ता द्वारा दर्ज PIL में दावा किया गया था कि बांग्लादेशी घुसपैठियों द्वारा आदिवासियों से शादी कर ज़मीन लूटी जा रही है व घुसपैठ हो रही है.
हाल के दिनों में भाजपा लगातार प्रचार कर रही है कि संथाल परगना में बड़ी संख्या में बांग्लादेशी घुसपैठिए आ रहे हैं जो आदिवासियों की ज़मीन हथिया रहे है, आदिवासी महिलाओं से शादी कर रहे हैं और आदिवासियों की जनसंख्या कम हो रही है. क्षेत्र में कई हिंसा व ज़मीन विवाद की घटनाओं को भाजपा ने बांग्लादेशी घुसपैठियों के साथ जोड़ा. केंद्र सरकार के हलफनामे ने भाजपा द्वारा इन स्थानीय विवादों को बांग्लादेशी घुसपैठ का रंग देने के खेल को उजागर कर दिया है. झारखंड जनाधिकार महासभा व लोकतंत्र बचाओ अभियान ने इन सभी मामलों के विस्तृत तथ्यांवेंशन में भी यही पाया था कि स्थानीय ज़मीन व परिवारों/समुदायों के निजी विवाद के मामलों को भाजपा बांग्लादेशी घुसपैठियों के साथ जोड़ कर फैला रही थी.
केंद्र ने हलफनामे में यह भी कहा है कि पश्चिम बंगाल से संटे पाकुड़ व साहिबगंज से घुसपैठ होने की आशंका है, लेकिन इस सम्बन्ध में किसी प्रकार का प्रमाण नहीं दिया है. साथ ही, हलफनामे में आंकड़ों को गलत व्याख्यान कर के यह बताया गया है कि संथाल परगना में हिन्दुओं की संख्या में व्यापक गिरावट हुई है. यह कहा गया है कि 1951 में क्षेत्र की कुल जनसंख्या 23.22 लाख थी जिसमें हिन्दुओं की आबादी 90.37% थी, मुसलमानों की 9.43% व ईसाईयों की 0.18%. कुल 23.22 लाख आबादी में आदिवासी 44.67% थे. यह कहा गया है कि 2011 में हिन्दुओं की जनसंख्या का अनुपात घट के 67.95% हो गया.
मज़ेदार बात है कि हलफ़नामे में यह नहीं बताया गया है कि 1951 जनगणना में केवल 6 धर्म कोड में जनगणना की गयी थी (हिंदू, इस्लाम, सिख, ईसाई, जैन व बुद्धिस्ट) एवं आदिवासियों को हिंदू में ही डाल दिया गया था. जब कि 2011 में अनेक आदिवासियों ने अपने को ‘अन्य/सरना’ में लिखित रूप में दर्ज किया था. हलफ़नामे में आदिवासियों, जो मुसलमान या इसाई नहीं हैं, उन्हें चुपके से हिंदू मान लिया गया है. आदिवासियों के स्वतंत्र धार्मिक पहचान को न मान के उन्हें हिंदू बनाने की भाजपा व केंद्र सरकार की राजनीति इसमें झलकती है. तथ्य यह है कि अगर केवल गैर-आदिवासी हिन्दुओं की संख्या लें, तो वे 1950 में 1011396 (43.56%) थे जो 2011 में बढ़ के 3425679 (49.16%) हो गए थे.
जनगणना आंकड़ों के अनुसार 1951 से 2011 के बीच हिन्दुओं की आबादी 24 लाख बढ़ी है, मुसलमानों की 13.6 लाख और आदिवासियों की 8.7 लाख. कुल जनसंख्या के अनुपात में आदिवासियों का अनुपात 46.8% से घटकर 28.11% हुआ है, मुसलमानों का अनुपात 9.44% से बढ़कर 22.73% व हिंदू 43.5% से बढ़कर 49% हुए हैं. आदिवासियों में प्रमुख गिरावट 1951-91 के बीच हुई है. इसके तीन प्रमुख कारण हैं: 1) दशकों से आदिवासियों की जनसंख्या वृद्धि दर अपर्याप्त पोषण, अपर्याप्त स्वास्थ्य व्यवस्था, आर्थिक तंगी के कारण गैर-आदिवासी समूहों से कम है, 2) संथाल परगना क्षेत्र में झारखंड के अन्य ज़िलों, बंगाल व बिहार से मुसलमान और हिंदू आकर बसते गए और आदिवासियों से ज़मीन अनौपचारिक दान-पत्र व्यवस्था से खरीदते गए, 3) संथाल परगना समेत पूरे राज्य के आदिवासी दशकों से लाखों की संख्या में पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं जिसका सीधा असर उनकी जनसंख्या वृद्धि दर पर पड़ता है. केंद्र के हलफ़नामे में आदिवासियों की कम जनसंख्या वृद्धि दर का ज़िक्र है.
संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठी का सांप्रदायिक अजेंडा का खोखलापन लगातार उजागर हो रहा है. जैसे 1) स्थानीय प्रशासन ने उच्च न्यायलय में कहा है कि क्षेत्र में बांग्लादेशी घुसपैठिये नहीं हैं, 2) स्थानीय लोग कह रहे हैं कि बांग्लादेशी घुसपैठिये नहीं है, 3) राष्ट्रीय पत्रकारों द्वारा भाजपा द्वारा आदिवासी महिलाओं (जिनसे कथित रूप से बांग्लादेशी मुसलमान शादी किये हैं) की जारी की गई सूची की जांच कर पाया गया है कि स्पष्ट झूठ है, 4) चुनाव आयोग द्वारा बनी टीम (जिसमें भाजपा के सदस्य भी थे) ने जांच में कुछ नहीं पाया, 4) महासभा की तथ्यान्वेषण रिपोर्ट में यही बात सामने आई और अब 5) केंद्र सरकार भी बोल रही है कि मामलों में बांग्लादेशी घुसपैठियों के साथ कोई जुड़ाव नहीं मिला है. इसके बावजूद भाजपा लगातार बांग्लादेशी घुसपैठिये, लैंड जिहाद, लव जिहाद आदि के नाम पर साम्प्रदायिकता व झूठ फैला रही है.
झारखंड जनाधिकार महासभा फिर से राज्य सरकार से मांग करता है कि किसी भी नेता या सामाजिक-राजनैतिक संगठन द्वारा बांग्लादेशी घुसपैठिये, लैंड जिहाद, लव जिहाद जैसे शब्दों का प्रयोग कर साम्प्रदायिकता फैलाने की कोशिश होती है, तो उनके विरुद्ध न्यायसंगत कार्यवाई हो. साथ ही, संथाल परगना टेनेंसी एक्ट का कड़ाई से पालन हो एवं किसी भी परिस्थिति में आदिवासी ज़मीन किसी भी हिंदू अथवा मुसलमान गैर-आदिवासी को बेचा न जाए. साथ ही, केंद्र सरकार तुरंत लंबित जनगणना व जाति जनगणना करवाए.
Comments
Post a Comment
NOTE: While there is no bar on viewpoint, comments containing hateful or abusive language will not be published and will be marked spam. -- Editor