- राम पुनियानी फिल्म जनसंचार का एक शक्तिशाली माध्यम है जो सामाजिक समझ को कई तरह से प्रभावित करता है. कई दशकों पहले भारत में ऐसी फिल्में बनी जो सामाजिक यथार्थ को प्रतिबिंबित करती थीं और प्रगतिशील मूल्यों को बढ़ावा देती थीं. 'मदर इंडिया', 'दो बीघा ज़मीन' और 'नया दौर' ऐसी ही कुछ फिल्में थीं. कुछ बायोपिक फिल्मों ने भी यथार्थपरक आम समझ को विस्तार और समावेशी मूल्यों को प्रोत्साहन दिया. रिचर्ड एटनबरो की 'गाँधी' और भगत सिंह के जीवन पर बनी कुछ फिल्में अत्यंत प्रेरणास्पद थीं. ये बायोपिक मेहनत और सावधानी से किए गए शोध पर आधारित थीं और अपने-अपने नायकों के वास्तविक चरित्र को परदे पर उकेरती थीं.
- झारखंड जनाधिकार महासभा दिनांक 18 मार्च को लोकतंत्र बचाओ 2024 (अबुआ झारखंड, अबुआ राज) अभियान ने सत्य भारती, रांची में प्रेस वार्ता कर आने वाले लोक सभा चुनाव, लोकतंत्र की स्थिति और राज्य की सामाजिक-राजनैतिक ज़मीनी वास्तविकता पर अपनी बात रखी. अभियान के विभिन्न लोक सभा से आये सदस्यों ने प्रेस को संबोधित किया.