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फ़रवरी, 2024 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

ખ્રિસ્તી ધર્મ, તેના ચર્ચોના સંગઠીત કાર્યો ધર્મનિરપેક્ષ નૈતીકતાના પ્રચાર સામેનો એક નંબરનો દુશ્મન છે

ભાવાનુવાદ: બિપિન શ્રોફ શા  માટે હું ખ્રિસ્તી નથી? -બર્ટ્રાન્ડ રસેલ "મારા નમ્ર અભિપ્રાય મુજબ જીસસ ક્રાઇસ્ટના ચારિત્ર્યમાં શાણપણ (wisdom) અને સદ્ગુણની ક્ષમતા કરતાં માનવ ઇતિહાસમાં બીજા ઘણા મહાન લોકોમાં તે બંને ગુણો ઘણા વધારે હતા. હું ગૌતમબુધ્ધ અને સોક્રેટીસને જીસસ કરતાં આ બાબતોમાં ઘણી ઉચ્ચકક્ષાનું ચારિત્ર્ય ધરાવનાર વ્યક્તિઓ ગણું છું." – બર્ટ્રાન્ડ રસેલ.

औपनिवेशिक संस्कृति का विरोध कहा जा रहा है वह न्याय व बंधुत्व पर आधारित संस्कृति का विरोध है

- राम पुनियानी*  हाल (22 जनवरी 2024) में अयोध्या के राममंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा के अवसर पर अत्यंत भव्य समारोह आयोजित किया गया. इसके साथ ही देश के अन्य हिस्सों, विशेषकर उत्तर भारत, में धार्मिकता के सामूहिक प्रदर्शन हुए. इस अवसर पर हमने देखा कि राजनैतिक सत्ता और धार्मिक सत्ता दोनों मानों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी में केन्द्रित हो गईं. अयोध्या के बाद मोदी ने अबू धाबी में एक बड़े मंदिर (श्री स्वामीनारायण) का उद्घाटन किया. इस अवसर पर भी जमकर जश्न मनाया गया और इसका खूब प्रचार-प्रसार हुआ. और अभी कुछ दिन पहले मोदी ने उत्तर प्रदेश में कल्कि धाम मंदिर का शिलान्यास किया. मंदिरों से जुड़े इन उत्सवों की श्रृंखला से प्रभावित कई दक्षिणपंथी चिन्तक दावा कर रहे हैं कि मोदी पहले ऐसे राजनेता हैं जो किसी उत्तर-औपनिवेशिक समाज की संस्कृति का वि-उपनिवेशीकरण कर रहे हैं.  उपनिवेशवाद का दक्षिण एशिया पर क्या प्रभाव पड़ा? दक्षिण एशिया का समाज मूलतः सामंती था जहाँ जमींदार और राजा शासन करते थे और पुरोहित वर्ग उनके राज को उचित बताता था. ब्रिटेन दक्षिण एशिया के अधिकांश हिस्से, विशेषकर भारतीय उपमहाद्वीप, को अपना उपनिवेश

देशव्यापी ग्रामीण भारत बंध में उतरे मध्य प्रदेश के आदिवासी, किया केंद्र सरकार का विरोध

- हरसिंग जमरे, भिखला सोलंकी, रतन अलावे*  15 और 16 फरवरी को निमाड के बड़वानी, खरगोन और बुरहानपुर में जागृत आदिवासी दलित संगठन के नेतृत्व में आदिवासी महिला-पुरुषों ग्रामीण भारत बंद में रैली एवं विरोध प्रदर्शन किया । प्रधान मंत्री द्वारा 2014 में फसलों की लागत का डेढ़ गुना भाव देने का वादा किया गया था, 2016 में किसानों की आय दुगना करने का वादा किया गया था । आज, फसलों का दाम नहीं बढ़ रहा है, लेकिन खेती में खर्च बढ़ता जा रहा है! खाद, बीज और दवाइयों का दाम, तीन-चार गुना बढ़ चुका है! किसानों को लागत का डेढ़ गुना भाव देने के बजाए, खेती को कंपनियों के हवाले करने के लिए 3 काले कृषि कानून लाए गए । 3 काले कानून वापस लेते समय प्रधान मंत्री ने फिर वादा किया था कि फसलों की लागत का डेढ़ गुना भाव की कानूनी गारंटी के लिए कानून बनाएँगे, लेकिन वो भी झूठ निकला! आज जब देश के किसान दिल्ली में आपको अपना वादा याद दिलाने आए है, तब आप उनका रास्ता रोक रहें है, उनके साथ मारपीट कर उन पर आँसू गैस फेंक रहें हैं, उन पर छर्रों से फायरिंग कर रहें है! देश को खिलाने वाला किसान खुद भूखा रहे, क्या यही विकास है?

भारत सरकार द्वारा पेश अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय का 2024-25 का बजट निराशाजनक

- मुजाहिद नफ़ीस*  भारत सरकार द्वारा संसद में वर्ष 2024-25 का बजट वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जी ने पेश किया| इस वर्ष का बजट 4030356.69 करोड़ है जो कि पिछले साल की तुलना में लगभग 0.955% की बढ़ोतरी हुई है| वहीं अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय का बजट मात्र 3183.24 करोड़ है जो कि कुल बजट का 0.0007 लगभग है| वर्ष 2021-22 में अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय का बजट 4810.77 करोड़ रूपये था, 2022-23 के लिए 5020.50 करोड़ रूपये प्रस्तावित किया था| पिछले साल 2023-24 में 3097.60 करोड़ था| केंद्र सरकार ने महत्वपूर्ण योजनाओं के बजट में कमी की गयी है जोकि निम्न हैं: प्री मेट्रिक छात्र वृत्ति स्कीम में 106.9 करोड़ की कमी,  पोस्ट मेट्रिक स्कीम में 80.38 करोड़ की बढ़ोतरी,  मेरिट कम मीन्स स्कीम में 10.2  करोड़ की कमी,  मौलाना आज़ाद फ़ेलोशिप स्कीम में 50.92 करोड़ की कमी,  कोचिंग स्कीम में 20 करोड़ की कमी,  इन्टरेस्ट सब्सिडि में 5.70 करोड़ की कमी,  UPSC की तयारी स्कीम में शून्य 00 प्रावधान, क़ौमी वक़्फ़ बोर्ड तरक्कीयाती स्कीम के बजट में 1 करोड़ की कमी,  स्किल डेव्लपमेंट इनिशिएटिव योजना में शून्य प्रावधान,  नई मंज़िल योजना में शून्य प्रावधान