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सबमिशन पॉलिसी

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हिंदी आलोचना जैसे पिछड़ चुके अनुशासन की जगह हिंदी वैचारिकी का विकास जरूरी

- प्रमोद रंजन*   भारतीय राजनीति में सांप्रदायिक व प्रतिक्रियावादी ताकतों को सत्ता तक पहुंचाने में हिंदी पट्टी का सबसे बड़ा योगदान है। इसका मुख्य कारण हिंदी-पट्टी में कार्यरत समाजवादी व जनपक्षधर हिरावल दस्ते का विचारहीन, अनैतिक और  प्रतिक्रियावादी होते जाना है। अगर हम उपरोक्त बातों को स्वीकार करते हैं, तो कुछ रोचक निष्कर्ष निकलते हैं। हिंदी-जनता और उसके हिरावल दस्ते को विचारहीन और प्रतिक्रियावादी बनने से रोकने की मुख्य ज़िम्मेदारी किसकी थी?

नफरती बातें: मुसलमानों में असुरक्षा का भाव बढ़ रहा है, वे अपने मोहल्लों में सिमट रहे हैं

- राम पुनियानी*  भारत पर पिछले 10 सालों से हिन्दू राष्ट्रवादी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राज कर रही है. भाजपा आरएसएस परिवार की सदस्य है और आरएसएस का लक्ष्य है हिन्दू राष्ट्र का निर्माण. आरएसएस से जुड़ी सैंकड़ों संस्थाएँ हैं. उसके लाखों, बल्कि शायद, करोड़ों स्वयंसेवक हैं. इसके अलावा कई हजार वरिष्ठ कार्यकर्ता हैं जिन्हें प्रचारक कहा जाता है. भाजपा के सत्ता में आने के बाद से आरएसएस दुगनी गति से हिन्दू राष्ट्र के निर्माण के अपने एजेण्डे को पूरा करने में जुट गया है. यदि भाजपा को चुनावों में लगातार सफलता हासिल हो रही है तो उसका कारण है देश में साम्प्रदायिकता और साम्प्रदायिक मुद्दों का बढ़ता बोलबाला. इनमें से कुछ हैं राम मंदिर, गौमांस और गोवध एवं लव जिहाद. 

देशव्यापी ग्रामीण भारत बंध में उतरे मध्य प्रदेश के आदिवासी, किया केंद्र सरकार का विरोध

- हरसिंग जमरे, भिखला सोलंकी, रतन अलावे*  15 और 16 फरवरी को निमाड के बड़वानी, खरगोन और बुरहानपुर में जागृत आदिवासी दलित संगठन के नेतृत्व में आदिवासी महिला-पुरुषों ग्रामीण भारत बंद में रैली एवं विरोध प्रदर्शन किया । प्रधान मंत्री द्वारा 2014 में फसलों की लागत का डेढ़ गुना भाव देने का वादा किया गया था, 2016 में किसानों की आय दुगना करने का वादा किया गया था । आज, फसलों का दाम नहीं बढ़ रहा है, लेकिन खेती में खर्च बढ़ता जा रहा है! खाद, बीज और दवाइयों का दाम, तीन-चार गुना बढ़ चुका है! किसानों को लागत का डेढ़ गुना भाव देने के बजाए, खेती को कंपनियों के हवाले करने के लिए 3 काले कृषि कानून लाए गए । 3 काले कानून वापस लेते समय प्रधान मंत्री ने फिर वादा किया था कि फसलों की लागत का डेढ़ गुना भाव की कानूनी गारंटी के लिए कानून बनाएँगे, लेकिन वो भी झूठ निकला! आज जब देश के किसान दिल्ली में आपको अपना वादा याद दिलाने आए है, तब आप उनका रास्ता रोक रहें है, उनके साथ मारपीट कर उन पर आँसू गैस फेंक रहें हैं, उन पर छर्रों से फायरिंग कर रहें है! देश को खिलाने वाला किसान खुद भूखा रहे, क्या यही विकास है?

આદર્શ સાંસદ ગ્રામ યોજના ના 106 દત્તક ગામો પૈકી કોઈ પણ ગામનું સોશ્યલ ઓડિટ થયું નથી

- પંક્તિ જોગ  આદર્શ સાંસદ ગ્રામ યોજના  ઓકટોબર 2014 થી અમલ માં છે. આ યોજનાં મૂજબ 2019-2024 દરમ્યાન ગુજરાત ના 26 સાંસદોએ 130 ગામો દત્તક લેવાના થતા હતાં. 

હું બહુજન સમાજ પાર્ટીથી ચૂંટણી લડ્યો. મારા કડવા અનુભવ: સુરતનાં બનાવોના પરિપ્રેક્ષ્યમાં

- વાલજીભાઈ પટેલ  બહુજન સમાજ પાર્ટીના સુરતના બનાવ પછી પાર્ટીના લાગણીશીલ નિરાશ યુવા મિત્રોને માર્ગદર્શન મળે તે માટે મેં અનુભવેલો કડવો પ્રસંગ લખવો મને જરૂરી લાગે છે. એટલે લખી રહ્યો છું. આમ તો મને લખવાની આદત નથી. હું તો લડનાર માણસ છું.

ગુજરાતના ૮૬૧ અકસ્માતે મૃત્યુ પામ્યા બાંધકામ કામદારોમાં થી ૪૩ ટકા પરિવારોને જ સહાય મળી

- વિપુલ પંડયા*  વિશ્વમાં ખાણ, બાંધકામ, કૃષિ, વનસંવર્ધન, માછીમારી અને ઉત્પાદન એ સૌથી જોખમી ક્ષેત્રો છે. ખાણ ઉધોગ પછી સૌથી વધુ અકસ્માતો બાંધકામ ક્ષેત્રમાં નોંધાઈ રહ્યા છે. ILO ના નવેમ્બર ૨૦૨૩ ના અહેવાલ મુજબ વિશ્વમાં બાંધકામમાં દર વર્ષે ૩૦ લાખ કામદારો મૃત્યુ પામે છે જેમાં ૨.૬ મિલિયન મૃત્યુ કામ સંબંધીત રોગો અને ૩૩૦૦૦૦ મૃત્યુ કામના સ્થળે થતા જીવલેણ અકસ્માતોને આભારી છે. જે ૨૦૧૫ ની સરખામણીમાં ૫ ટકાથી વધુનો વધારો છે એવું ILO નો અભ્યાસ દર્શાવે છે.

Under Modi, democracy is regressing and economy is also growing slowly

By Avyaan Sharma*   India is "the largest democracy in the world", but now its democracy is regressing and its economy is also growing slowly. What has PM Modi's ten years in power brought us? Unemployment remains high. Joblessness is particularly high among India's youth - with those aged 15 to 29 making up a staggering 83% of all unemployed people in India, according to the "India Employment Report 2024", published last month by the International Labour Organisation (ILO) and the Institute of Human Development (IHD). The BJP-led government did not provide jobs to two crore youth in a year as was promised by Modi in the run up to the 2014 general elections.

Opposition parties appear to have fallen into the trap of Modi-centric elections

By NS Venkataraman*                                          As India is now passing through parliamentary election with more than 950 million   citizens having right to exercise their franchise,  what is unique about this election is the widely believed foregone conclusion that Mr. Narendra Modi would win the election. As a matter of fact, most people do not say that BJP,   the party that Mr. Modi belongs to,  would win the election but restrict themselves to say that Mr. Modi would win the election.  

મોદીનો દાયકો: વિદેશી દેવામાં ભારે વધારો, જંગી વિદેશી રોકાણ; સ્વદેશી જાગરણ મંચ કુંભકર્ણ બન્યો

- પ્રો. હેમંતકુમાર શાહ  ૨૦૧૪માં ભારતનું વિદેશી દેવું ૪૬,૨૦૦ કરોડ ડોલર હતું અને તે ૨૦૨૪ સુધીમાં વધીને ૬૪,૦૦૦ કરોડ ડોલર થયું છે. આમ તેમાં ૩૮ ટકાનો વધારો થયો છે. આ રકમ આજના ડોલરના ભાવે ₹ ૫૪.૪૦ લાખ કરોડ થાય. એ ભારત સરકારના ૪૭ લાખ કરોડ રૂપિયાના બજેટ કરતાં પણ વધારે થઈ! 

Laxmanpur Bathe massacre: Perfect example of proto-fascist Brahmanical social order

By Harsh Thakor  The massacre at Laxmanpur-Bathe of Jehanabad in Bihar on the night of 1 December in 1997 was a landmark event with distinguishing features .The genocide rightly shook the conscience of the nation in the 50th year of Indian independence. The scale of the carnage was unparalleled in any caste massacre. It was a perfect manifestation of how in essence the so called neo-liberal state was in essence most autocratic.