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गुजरात विश्वविद्यालय कुलपति महोदया का बयान उल्टा चोर कोतवाल को डांटे समान है

गुजरात विश्व विद्यालय परिसर में विदेशी छात्रों को सांस्कृतिक संवेदनशीलता का पाठ देने की ख़बर के संबंध में विश्व विद्यालय को खुला पत्र:

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प्रति श्री,
कुलपति महोदय
गुजरात विश्वविद्यालय
अहमदाबाद
विषय- गुजरात विश्व विद्यालय परिसर में विदेशी छात्रों को सांस्कृतिक संवेदनशीलता का पाठ देने की ख़बर के संबंध में।
महोदया,
16-3-24 की रात गुजरात यूनिवर्सिटी के इंटरनेशनल हॉस्टल में नमाज़ पढ़ रहे 15 से ज़्यादा अफगानी और अफ़्रीकी मुस्लिम छात्रों पर कट्टरवादी आतंकवादी संगठनों के गुंडों ने संगठित रूप से पूर्वनियोजित जानलेवा हमला किया। इस हमले की सभी संविधान प्रेमियों ने भर्त्सना की| विश्वविद्यालय ने भी अपने कर्मचारी की तरफ से FIR दर्ज कराई| इसके बाद आपका एक बयान जो टीवी और सभी समाचार पत्रों में प्रमुखता से छपा है कि विदेशी छात्रों को सांस्कृतिक संवेदनशीलता का पाठ पढ़ाया जाएगा|
महोदया आपका बयान उल्टा चोर कोतवाल को डांटे समान है| हम देखते हैं कि पुरुष प्रधान समाज में महिला को ही उसके ऊपर हुए अपराध के लिए ज़िम्मेदार ठहराया जाता है, आप एक महिला होने के नाते बताएं कि महिलाओं पर अपराध के लिए महिला स्वयं ज़िम्मेदार है या पित्रसत्तात्मक सोच? आपका बयान उन मुसलमानो को ही दोषी ठहराने के समान है|
महोदया हमारी सांस्कृतिक संवेदनशीलता की ज़रूरत सर्वप्रथम बहुसंख्यक समुदायों है जो अल्पसंख्यकों को हीन, तुच्छ नज़र से देखते हैं और अपनी सर्वोचता के सिध्द्धांत के लिए अल्पसंख्यकों से हिंसा करने पर उतारू है| ये समूह moral policing के जरिये परिसर में भय का माहौल बना रहे हैं| इन गुंडों को देश का संविधान पढ़ाने की ज़रूरत है|
भारतीय संविधान का Article 14  घोषित करता है कि क़ानून के समक्ष सभी समान हैं|
भारतीय संविधान का Article 21 घोषित करता है कि किसी भी व्यक्ति को कानून द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के अलावा उसके जीवन या व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जाएगा। यह अधिकार नागरिकों और विदेशियों दोनों के लिए उपलब्ध है।
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 25 धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार की गारंटी देता है। इसमें धर्म को मानने, आचरण करने और प्रचार करने की स्वतंत्रता से संबंधित विभिन्न पहलू शामिल हैं।
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 29 अल्पसंख्यकों के सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकारों की रक्षा करता है। इसका उद्देश्य भारत में धार्मिक, भाषाई और सांस्कृतिक अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करना है। 
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51 में अंतर राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देना है के संबंध में है|
वहीं अनुच्छेद 51 क. मूल कर्तव्य- भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होगा कि वह-
(क) संविधान का पालन करे और उस के आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रध्वज राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान का आदर करे;
(ख) स्वतन्त्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोए रखे और उन का पालन करे;
(ग) भारत की प्रभुता, एकता और अखण्डता की रक्षा करे और उसे अक्षुण्ण रखे;
(घ) देश की रक्षा करे और आह्वान किए जाने पर राष्ट्र की सेवा करे;
(ङ) भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करे जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग पर आधारित सभी भेदभाव से परे हो, ऐसी प्रथाओं का त्याग करे जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध है;
(च) हमारी सामासिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्त्व समझे और उस का परिरक्षण करे;
 (ज) वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करे;
(झ) सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखे और हिंसा से दूर रहे;
महोदया भारत सांस्कृतिक विविधता, बहुलता वाला देश है| यहाँ की सांस्कृतिक विरासत वासुधेव कुटुंबकम है, ये पाठ बहुसंख्यक समुदायों को क्यों नहीं पढ़ाया गया?
आपसे अपेक्षा है कि विश्वविद्यालय के सभी छात्रों को संविधान का विशेष पाठ पढ़ाया जाए व अल्पसंख्यक समुदायों के बच्चों के लिए क़ानून में उनके लिए उपलब्ध प्रावधानों को विशेष रूप से पढ़ाया जाए, जिससे अल्पसंख्यक समुदाय भयमुक्त होकर विद्यार्जन कर सके|
मुझे विश्वास है कि आप कार्यवाही कर कृत कार्यवाही से मुझे भी अवगत कराएंगी।
प्रतिलिपि- माननीय मुख्यमंत्री महोदय, गुजरात
माननीय शिक्षा सचिव श्री, गुजरात
पुलिस महानिदेशक महोदय, गांधीनगर, गुजरात
भवदीय,
मुजाहिद नफ़ीस
कंविनर
माइनॉरिटी कोआर्डिनेशन कमेटी

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