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Interaction with a tribal-turned-Dalit community of eastern Gangetic plain in UP

Malwabar village
Vidya Bhushan Rawat, a human rights defender, has interacted with the  tribal-turned-Dalit community found in the eastern Gangetic plain and the Terai, Musahars, living in village Malwabar, Deoria, Uttar Pradesh, on issues related with agriculture, land and how they deal with the entire issue. According to him, one would be able to understand the crisis  faced by the community in Malwabar village, which is a Musahar hamlet, even though it has changed a lot.
In the beginning of the video, shared below, for the first about six seven minutes one can see the aerial view of the village as well as our Prerna Kendra where the discussion was organised in the end of November 2020. The entire community in the village is landless, and both men and women work together on land. See the video: 

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- प्रमोद रंजन*   भारतीय राजनीति में सांप्रदायिक व प्रतिक्रियावादी ताकतों को सत्ता तक पहुंचाने में हिंदी पट्टी का सबसे बड़ा योगदान है। इसका मुख्य कारण हिंदी-पट्टी में कार्यरत समाजवादी व जनपक्षधर हिरावल दस्ते का विचारहीन, अनैतिक और  प्रतिक्रियावादी होते जाना है। अगर हम उपरोक्त बातों को स्वीकार करते हैं, तो कुछ रोचक निष्कर्ष निकलते हैं। हिंदी-जनता और उसके हिरावल दस्ते को विचारहीन और प्रतिक्रियावादी बनने से रोकने की मुख्य ज़िम्मेदारी किसकी थी?

नफरती बातें: मुसलमानों में असुरक्षा का भाव बढ़ रहा है, वे अपने मोहल्लों में सिमट रहे हैं

- राम पुनियानी*  भारत पर पिछले 10 सालों से हिन्दू राष्ट्रवादी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राज कर रही है. भाजपा आरएसएस परिवार की सदस्य है और आरएसएस का लक्ष्य है हिन्दू राष्ट्र का निर्माण. आरएसएस से जुड़ी सैंकड़ों संस्थाएँ हैं. उसके लाखों, बल्कि शायद, करोड़ों स्वयंसेवक हैं. इसके अलावा कई हजार वरिष्ठ कार्यकर्ता हैं जिन्हें प्रचारक कहा जाता है. भाजपा के सत्ता में आने के बाद से आरएसएस दुगनी गति से हिन्दू राष्ट्र के निर्माण के अपने एजेण्डे को पूरा करने में जुट गया है. यदि भाजपा को चुनावों में लगातार सफलता हासिल हो रही है तो उसका कारण है देश में साम्प्रदायिकता और साम्प्रदायिक मुद्दों का बढ़ता बोलबाला. इनमें से कुछ हैं राम मंदिर, गौमांस और गोवध एवं लव जिहाद. 

देशव्यापी ग्रामीण भारत बंध में उतरे मध्य प्रदेश के आदिवासी, किया केंद्र सरकार का विरोध

- हरसिंग जमरे, भिखला सोलंकी, रतन अलावे*  15 और 16 फरवरी को निमाड के बड़वानी, खरगोन और बुरहानपुर में जागृत आदिवासी दलित संगठन के नेतृत्व में आदिवासी महिला-पुरुषों ग्रामीण भारत बंद में रैली एवं विरोध प्रदर्शन किया । प्रधान मंत्री द्वारा 2014 में फसलों की लागत का डेढ़ गुना भाव देने का वादा किया गया था, 2016 में किसानों की आय दुगना करने का वादा किया गया था । आज, फसलों का दाम नहीं बढ़ रहा है, लेकिन खेती में खर्च बढ़ता जा रहा है! खाद, बीज और दवाइयों का दाम, तीन-चार गुना बढ़ चुका है! किसानों को लागत का डेढ़ गुना भाव देने के बजाए, खेती को कंपनियों के हवाले करने के लिए 3 काले कृषि कानून लाए गए । 3 काले कानून वापस लेते समय प्रधान मंत्री ने फिर वादा किया था कि फसलों की लागत का डेढ़ गुना भाव की कानूनी गारंटी के लिए कानून बनाएँगे, लेकिन वो भी झूठ निकला! आज जब देश के किसान दिल्ली में आपको अपना वादा याद दिलाने आए है, तब आप उनका रास्ता रोक रहें है, उनके साथ मारपीट कर उन पर आँसू गैस फेंक रहें हैं, उन पर छर्रों से फायरिंग कर रहें है! देश को खिलाने वाला किसान खुद भूखा रहे, क्या यही विकास है?

How the slogan Jai Bhim gained momentum as movement of popularity and revolution

By Dr Kapilendra Das*  India is an incomprehensible plural country loaded with diversities of religions, castes, cultures, languages, dialects, tribes, societies, costumes, etc. The Indians have good manners/etiquette (decent social conduct, gesture, courtesy, politeness) that build healthy relationships and take them ahead to life. In many parts of India, in many situations, and on formal occasions, it is common for people of India to express and exchange respect, greetings, and salutation for which we people usually use words and phrases like- Namaskar, Namaste, Pranam, Ram Ram, Jai Ram ji, Jai Sriram, Good morning, shubha sakal, Radhe Radhe, Jai Bajarangabali, Jai Gopal, Jai Jai, Supravat, Good night, Shuvaratri, Jai Bhole, Salaam walekam, Walekam salaam, Radhaswami, Namo Buddhaya, Jai Bhim, Hello, and so on.

હું બહુજન સમાજ પાર્ટીથી ચૂંટણી લડ્યો. મારા કડવા અનુભવ: સુરતનાં બનાવોના પરિપ્રેક્ષ્યમાં

- વાલજીભાઈ પટેલ  બહુજન સમાજ પાર્ટીના સુરતના બનાવ પછી પાર્ટીના લાગણીશીલ નિરાશ યુવા મિત્રોને માર્ગદર્શન મળે તે માટે મેં અનુભવેલો કડવો પ્રસંગ લખવો મને જરૂરી લાગે છે. એટલે લખી રહ્યો છું. આમ તો મને લખવાની આદત નથી. હું તો લડનાર માણસ છું.

70 पर्यावरण, युवा, वन नागरिक समूहों की अपील: प्रकृति, लोकतंत्र व युवा भविष्य के लिए वोट करें

- जन आंदोलनों का राष्ट्रीय गठबंधन   देश भर से, 70 से अधिक पर्यावरण, युवा, वन और नागरिक समूहों ने 2024 चुनाव से पहले देश की जनता को अपील जारी करते हुए कहा कि, हम यह सुनिश्चित करें कि हमारे वोट से, प्रकृति की रक्षा, सभी नागरिकों के लिए संवैधानिक और लोकतांत्रिक अधिकार और भारत के युवाओं के लिए एक सुरक्षित भविष्य प्राप्त हो। अपीलकर्ता समूहों की सूची ऊपर एवं इस लिंक पर उपलब्ध हैं।

न नौकरियाँ, न पर्याप्त मजदूरी, न राहत: अनौपचारिक श्रमिकों के लिए मोदी की विरासत

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વન નેશન વન રાશન કાર્ડ યોજના: સ્થળાંતરીત મજૂરોને રાશન લેવા જાય તો રાશન મળતું નથી

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કચ્છ અને અમદાવાદમાં થયેલ મોબ લીંચિંગ અને મોબ વાયોલન્સ ઘટના બાબતે DGP ને પત્ર

- મુજાહિદ નફીસ*  કચ્છ અને અમદાવાદમાં થયેલ મોબ લીંચિંગ અને મોબ વાયોલન્સ ઘટના બાબતે  DGP ને પત્ર લખી ને ગડશીશા કેસમાં IPC ની 307, 302 કલમોનો ઉમેરો કરવામાં આવે અને ગડશીશા પોલિસ ઇન્સ્પેક્ટર અને PSI શ્રીઓ ની ન્યાયહિતમાં તાત્કાલિક જિલ્લા બાહર બદલી કરવામાં આવે જેવી માંગણી કરવામાં આવી.

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- सुधीर कुमार   साम्राज्यवाद आज अपने खुद के अंतर्विरोधों की वजह से भी और दुनिया के अनेक हिस्सों में हो रहे साम्राज्यवाद विरोधी संघर्षों की वजह से भी गहरे संकट में आ गया है। इन संकटों से उबरने के लिए साम्राज्यवाद युद्ध की शरण में जाता है। युद्ध से बड़े पैमाने पर मौतें, विस्थापन, भुखमरी आदि समस्याएं पैदा होती हैं। मौजूदा दौर में रूस और यूक्रेन तथा इज़राइल और फिलिस्तीन के बीच चल रहे युद्धों ने मानवता के सामने एक तरफ एक भीषण संकट खड़ा किया है लेकिन शोषण के खिलाफ और मनुष्य की आत्मसम्मान के साथ जीने की चाह रखने वाले लोगों को यह अवसर भी मुहैया कराया है कि ये साम्राज्यवाद और पूंजीवाद को जड़ से उखाड़ फेंक दें।    यह बातें प्रगतिशील लेखक संघ के राष्ट्रीय सचिव श्री विनीत तिवारी ने “साम्राज्यवाद और विस्थापन: साहित्य में उपस्थिति” विषय पर अपने सम्बोधन में कही। वे अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ की भोपाल इकाई द्वारा आयोजित स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में व्याख्यान कार्यक्रम में बोल रहे थे। यह कार्यक्रम 14 अप्रैल 2024 को भोपाल स्थित मायाराम सुरजन भवन में कार्यक्रम आयोजित किया गया।