लोकसभा 2024 का परिणाम साफ़ रूप से नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के विरुद्ध है. यह चुनाव शुरू से ही जनता बनाम भाजपा और मोदी था और जनता ने मोदी सरकार को नाकारा है. जिन परिस्थितियों में भाजपा 240 सीटों तक सिमट गयी है और INDIA गठबंधन को 232 मिले हैं, यह चुनाव भाजपा और मोदी के लिए प्रचंड हार से कम नहीं है.
मोदी सरकार ने ED व CBI का दुरुपयोग कर लगातार विपक्ष को ख़तम करने की कोशिश की. लोकप्रिय विपक्षी मुख्यमंत्रियों को गिरफ्तार किया. चुनाव के ठीक पहले कांग्रेस पार्टी के बैंक खातों को सील कर दिया.
देश के सभी लोकतांत्रिक व संवैधानिक संस्थाओं को लगातार कमज़ोर किया. अभिव्यक्ति की आज़ादी पर बार बार हमला किया. विभिन्न न्यायलय संविधान के विपरीत मोदी सरकार के पक्ष में कार्य करने लगे. चुनाव आयोग ने अपनी निष्पक्ष भूमिका के विपरीत भाजपा के एजेंट के रूप में काम किया. और अधिकांश मुख्यधारा मडिया पत्रकारिता छोड़कर मोदी सरकार और भाजपा के पक्ष में प्रचार करने में व्यस्त रहे. ऐसी परिस्थिति में भी 232 सीट जीतने के लिए लोकतंत्र बचाओ 2024 अभियान INDIA गठबंधन को बधाई देता है. अगर लोकतांत्रिक परिस्थितियां स्वस्थ रहती, तो भाजपा इससे बहुत कम सीटें जीतती और INDIA गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिलता.
मोदी समेत पूरी भाजपा इस बार चुनाव ‘400 पार’ के नारे पर लड़ी. भाजपा ने पूरा चुनाव मोदी पर केन्द्रित किया. प्रधान मंत्री का खुद का वाराणसी में जीतने का मार्जिन 2019 में 4.5 लाख से कम होकर 2024 में 1.5 लाख हो जाना यह इंगित करता है कि मोदी का झूठ का मुखौटा उतरने लगा है. अयोध्या सीट पर भाजपा की हार मोदी और भाजपा की साम्प्रदायिकता और नफरती चुनावी अभियान का करार जवाब है.
2004 के बाद झारखंड में पहली बार पाँचों आदिवासी सीटों पर भाजपा को मिली कड़ी हार दर्शाता है कि जनता ने मोदी सरकार को नकारा है. अभियान का मानना है कि अगर राज्य के INDIA गठबंधन दल समय से जनता की मांग अनुरूप गठबंधन और प्रत्याशी तय कर लेते एवं थोड़ी और ज़मीनी मेहनत करते, तो भाजपा कुछ और सीटों पर भी हारती.
जनता का जनमत भाजपा के विरुद्ध है. इसलिए भाजपा को केंद्र में सरकार नहीं बनानी चाहिए. लोकतंत्र बचाओ 2024 अभियान INDIA गठबंधन और सभी गैर-भाजपा दलों से अपील करता है कि वे आपस में चर्चा कर सरकार बनाएं. अभियान का यह भी मानना है कि जिनकी भी सरकार बने, वे मोदी सरकार की जन विरोधी नीतियों को रद्द करे और संविधान और लोकतांत्रिक व्यवस्था को पूर्ण रूप से बहाल करे.
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*कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और 30 जन संगठनों का एक मंच जिसका गठन अगस्त 2018 में किया गया. इसका मुख्य उद्देश्य है जन अधिकारों और लोकतंत्र पर हो रहे हमलों के विरुद्ध संघर्षों को संगठित और सुदृढ़ करना
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