- झारखंड जनाधिकार महासभा
दिनांक 2 जून को लोकतंत्र बचाओ 2024 अभियान ने प्रेस क्लब, रांची में प्रेस वार्ता आयोजन कर लोक सभा चुनाव में राजनैतिक दलों के रवैये, आयोग की भूमिका और ज़मीनी जनमत को साझा किया. अभियान लोक सभा चुनाव के परिप्रेक्ष में पिछले 1.5 साल से राज्य के कोने-कोने में लोगों के बीच तक गया, जन मुद्दों को बारीकी से समझा और चुनावी प्रक्रिया को नज़दीकी से देखा. इस अनुभव के आधार पर प्रेस वार्ता को संबोधित किया गया.
चुनाव के दौरान राज्य के दौरे से यह साफ़ है कि मतदाताओं के एक बड़े हिस्से का जनमत मोदी सरकार के विरुद्ध है, खास कर के पांचो आदिवासी सीटों पर. लोगों में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ़्तारी को लेकर व्यापक गुस्सा है. साथ ही, संविधान और लोकतंत्र को खत्म करना, वादों का महज़ जुमला बन जाना, विभिन्न जन अधिकारों को खतम किया जाना एवं गाँव-समाज में धर्म के नाम पर हिंसा व साम्प्रदायिकता में बढ़ौतरी- इनके विरुद्ध भी मतदाता एकजुट दिखें. अभियान का मानना है कि झारखंड में INDIA गठबंधन को कम से कम 7-8 सीट मिलेंगी.
इस बार भाजपा द्वारा पूरे राज्य में वीभत्स और सांप्रदायिक चुनावी अभियान चलाया गया. प्रधान मंत्री समेत शीर्ष नेताओं ने लगातार अपने चुनावी भाषणों में मुसलमानों के विरुद्ध नफरत, झूठी बातों का प्रचार और धार्मिक ध्रुवीकरण कर वोट माँगा. उनके द्वारा आचार संहिता व लोक प्रतिनिधित्व कानून का खुला उल्लंघन किया गया. अभियान के कई शिकायतों के बावजूद न उनके विरुद्ध कार्यवाई हुई और न ही उन्हें यह करने से रोका गया.
इस चुनाव में चुनाव आयोग की भूमिका अत्यंत निंदनीय रही है. आयोग ने अपनी निष्पक्ष भूमिका के विपरीत भाजपा के एजेंट के रूप में काम किया है. भाजपा द्वारा कई प्रकार के उल्लंघन लगातार किये गए जैसे मतदान केन्द्रों के बाहर चुनाव चिन्ह और मोदी फ़ोटो युक्त मतदान पर्ची बांटना. शिकायतों के बावजूद आयोग द्वारा इन्हें रोकने की सक्रियता नहीं दिखाई गयी.
चुनावी भाषणों में झूठ और साम्प्रदायिकता फ़ैलाने के लिए भाजपा को खुली छूट देने के अलावा आयोग ने चुनावी प्रक्रिया पर भी लोगों के विश्वास को तोड़ा है. पहली बार ऐसा हुआ कि आयोग ने मतदान के लगभग 2 सप्ताह बाद फाइनल मतदाताओं की संख्या को सार्वजानिक किया. मतदान के अगले दिन जारी किये गए आंकड़ों में कई दिनों बाद बढ़ौतरी की गयी. पूरे देश में 1 करोड़ वोट से भी अधिक की बढ़ौतरी की गयी. सर्वोच्च न्यायलय के आदेश के बाद ही चुनाव आयोग ने मतदान किये कुल वोटरों की संख्या सार्वजानिक किया. लेकिन आयोग आज तक इसका कारण साफ़ रूप से नहीं बताया है. अभियान ने विभिन्न लोक सभाओं के रिटर्निंग अफसरों से मांग किया है कि वे 4 जून से पहले बूथ-वार फॉर्म 17सी (जिसमें मतदान के आंकड़े दर्ज रहते हैं) को सार्वजानिक करें.
चुनाव के दौरान आयोग के उदासीन रवैये से यह साफ़ है कि मतगणना के दौरान जनता को अपने जनमत की रक्षा के लिए सजग रहने की ज़रूरत है. इस संभावना से नकारा नहीं जा सकता है कि मोदी सरकार के विरुद्ध जनमत को मतगणना के दौरान गड़बड़ी कर पलटने की कोशिश की जा सकती है.
ऐसी परिस्थिति में लोकतंत्र बचाओ 2024 अभियान निम्न अपील व मांग करता है:
दिनांक 2 जून को लोकतंत्र बचाओ 2024 अभियान ने प्रेस क्लब, रांची में प्रेस वार्ता आयोजन कर लोक सभा चुनाव में राजनैतिक दलों के रवैये, आयोग की भूमिका और ज़मीनी जनमत को साझा किया. अभियान लोक सभा चुनाव के परिप्रेक्ष में पिछले 1.5 साल से राज्य के कोने-कोने में लोगों के बीच तक गया, जन मुद्दों को बारीकी से समझा और चुनावी प्रक्रिया को नज़दीकी से देखा. इस अनुभव के आधार पर प्रेस वार्ता को संबोधित किया गया.
चुनाव के दौरान राज्य के दौरे से यह साफ़ है कि मतदाताओं के एक बड़े हिस्से का जनमत मोदी सरकार के विरुद्ध है, खास कर के पांचो आदिवासी सीटों पर. लोगों में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ़्तारी को लेकर व्यापक गुस्सा है. साथ ही, संविधान और लोकतंत्र को खत्म करना, वादों का महज़ जुमला बन जाना, विभिन्न जन अधिकारों को खतम किया जाना एवं गाँव-समाज में धर्म के नाम पर हिंसा व साम्प्रदायिकता में बढ़ौतरी- इनके विरुद्ध भी मतदाता एकजुट दिखें. अभियान का मानना है कि झारखंड में INDIA गठबंधन को कम से कम 7-8 सीट मिलेंगी.
इस बार भाजपा द्वारा पूरे राज्य में वीभत्स और सांप्रदायिक चुनावी अभियान चलाया गया. प्रधान मंत्री समेत शीर्ष नेताओं ने लगातार अपने चुनावी भाषणों में मुसलमानों के विरुद्ध नफरत, झूठी बातों का प्रचार और धार्मिक ध्रुवीकरण कर वोट माँगा. उनके द्वारा आचार संहिता व लोक प्रतिनिधित्व कानून का खुला उल्लंघन किया गया. अभियान के कई शिकायतों के बावजूद न उनके विरुद्ध कार्यवाई हुई और न ही उन्हें यह करने से रोका गया.
इस चुनाव में चुनाव आयोग की भूमिका अत्यंत निंदनीय रही है. आयोग ने अपनी निष्पक्ष भूमिका के विपरीत भाजपा के एजेंट के रूप में काम किया है. भाजपा द्वारा कई प्रकार के उल्लंघन लगातार किये गए जैसे मतदान केन्द्रों के बाहर चुनाव चिन्ह और मोदी फ़ोटो युक्त मतदान पर्ची बांटना. शिकायतों के बावजूद आयोग द्वारा इन्हें रोकने की सक्रियता नहीं दिखाई गयी.
चुनावी भाषणों में झूठ और साम्प्रदायिकता फ़ैलाने के लिए भाजपा को खुली छूट देने के अलावा आयोग ने चुनावी प्रक्रिया पर भी लोगों के विश्वास को तोड़ा है. पहली बार ऐसा हुआ कि आयोग ने मतदान के लगभग 2 सप्ताह बाद फाइनल मतदाताओं की संख्या को सार्वजानिक किया. मतदान के अगले दिन जारी किये गए आंकड़ों में कई दिनों बाद बढ़ौतरी की गयी. पूरे देश में 1 करोड़ वोट से भी अधिक की बढ़ौतरी की गयी. सर्वोच्च न्यायलय के आदेश के बाद ही चुनाव आयोग ने मतदान किये कुल वोटरों की संख्या सार्वजानिक किया. लेकिन आयोग आज तक इसका कारण साफ़ रूप से नहीं बताया है. अभियान ने विभिन्न लोक सभाओं के रिटर्निंग अफसरों से मांग किया है कि वे 4 जून से पहले बूथ-वार फॉर्म 17सी (जिसमें मतदान के आंकड़े दर्ज रहते हैं) को सार्वजानिक करें.
चुनाव के दौरान आयोग के उदासीन रवैये से यह साफ़ है कि मतगणना के दौरान जनता को अपने जनमत की रक्षा के लिए सजग रहने की ज़रूरत है. इस संभावना से नकारा नहीं जा सकता है कि मोदी सरकार के विरुद्ध जनमत को मतगणना के दौरान गड़बड़ी कर पलटने की कोशिश की जा सकती है.
ऐसी परिस्थिति में लोकतंत्र बचाओ 2024 अभियान निम्न अपील व मांग करता है:
- अभियान चुनाव आयोग व सभी रिटर्निंग अफ़सरों से मांग करता है कि वे तुरंत फॉर्म 17सी को सार्वजानिक करें ताकि मतगणना में पारदर्शिता रहे.
- अभियान वर्तमान चुनाव आयोग के आयुक्तों और पदाधिकारियों से मांग करता है कि वे आयोग के गौरवशाली इतिहास से प्रेरणा लें और ईमानदारी से निष्पक्ष मतगणना सुनिश्चित करें.
- अभियान सभी नागरिकों से अपील करता है कि वे जनमत के प्रति सजग रहे और मतगणना के दिन खास निगरानी रखें. किसी भी परिस्थिति में अपने जनमत की चोरी न होने दें.
- अभियान INDIA गठबंधन से मांग करता है कि वे मतगणना के दिन सतर्क रहे, फॉर्म 17सी के आधार पर वोट का मिलान करें और और आयोग से नियम संगत कार्यवाई की मांग करेंगे.
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